श्री अरविन्द का योग ( पूर्ण योग )
जब कभी हम पर परेशानियाँ आती हैं हम भगवान को याद करते हैं, उसकी पूजा करते हैं, उसका ध्यान करते हैं, उससे प्रार्थना करते हैं या वह सत्य खोजने की चेष्टा करते हैं जिससे कि ज्ञात हो कि हमारे ऊपर यह परेशानी क्यों आई.
इन दोनों ही प्रक्रियायों में हम संसार की गतिविधियों से थोड़ा दूर हट जाते हैं. हम पाते हैं कि इससे हमारी परेशानी समाप्त हो जाती है या कम होना शुरू हो जाती है. इससे एक लाभ तो होता है कि हमें यह ज्ञान होता है कि भगवान कि तरफ बढने या सत्य की जिज्ञासा मात्र से भी हमारे जीवन में शांति बढती है पर इससे एक हानि भी होती है कि हमारे मन में यह धारणा बनने लग जाती है कि संसार की गतिविधियों में लगे रहने पर हमें शांति नहीं मिल सकती. ये अनुभव हमें पलायनवाद की शिक्षा भी देतें हैं.
योग का अर्थ भगवान से जुड़ना होता है. हमें विभिन्न योगों ने भगवान से जुड़ने की विभिन्न पद्धतियाँ बताई हैं पर सभी योगों में यह माना जाता है कि यदि भगवान से जुड़ना है तो संसार छोड़ना पड़ेगा परन्तु श्री अरविन्द - योग ( पूर्ण - योग ) में हम भगवान से जुड़ते हैं, भगवान को प्राप्त करते हैं, भगवान को संसार में उतारते हैं और अंतिम लक्ष्य भगवान को संसार में अभिव्यक्त करते हैं.
Friday, January 7, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment