Monday, September 26, 2011

Sri Arvind Society ki Sthapana

श्री अरविन्द सोसाइटी की स्थापना
श्री अरविन्द सोसाइटी की स्थापना क्या एक नए धर्मं या सम्प्रदाय की स्थापना है ? नहीं, ऐसा नहीं है.
सभी धर्मं और सम्प्रदाय भगवान तक पहुँचने के मार्ग हैं. जिसको इस बात पर विश्वास हो जाता है उसका किसी भी धर्मं या सम्प्रदाय से कोई भेद नहीं रह जाता. लेकिन जब किसी को लगता है कि केवल उसी का धर्मं या सम्प्रदाय भगवान तक पहुंचा सकता है तो मतभेद का प्रारंभ हो जाता है. हर व्यक्ति को अपना धर्मं या सम्प्रदाय प्यारा होता है और उसको उसके प्रेम और आस्था से हिलाने की जो भी कोशिश करता है उसको वह अपना शत्रु मानता है.
परन्तु ऐसा हर साधक के साथ होता है कि वह पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ अपने धर्मं या सम्प्रदाय की शिक्षायों का पालन करता है पर उसको लगता है कि उसको भगवान की प्राप्ति नहीं हो रही है.उस समय संसार में हमेशा महापुरुष, मसीहा, पैगम्बर, या अवतार जन्म लेते हैं. ये लोगों की भगवान की प्राप्ति में मदद करते हैं. इनके मन में संपूर्ण मानव जाति के लिए प्रेम भरा होता है. ये किसी की भी उसके धर्मं या सम्प्रदाय में श्रद्धा हिलाते नहीं हैं बल्कि उसकी श्रद्धा उसी के धर्मं या सम्प्रदाय में दृढ करते हैं. हाँ, अपने काम को सम्पादित करने के लिए ये किसी समिति या समाज की स्थापना कर सकते हैं. पर यह किसी नए धर्मं या सम्प्रदाय की स्थापना नहीं होती. उनके शिष्यों और अनुगामियों का भी यह कर्त्तव्य होता है कि समस्त मानव जाति को भगवान की प्राप्ति की ओर बढाएं.
इसी उद्देश्य से श्री अरविन्द सोसाइटी की स्थापना हुई है. श्री अरविन्द सोसाइटी दुनिया भर के समस्त धर्मों और सम्प्रदायों के अनुगामियों को भगवान की प्राप्ति के मार्ग पर मदद करने के लिए है न कि एक नया धर्मं या सम्प्रदाय खड़ा करने के लिए.

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