क्या जगत मिथ्या है।
संसार के ज्यादातर आध्यात्मिक मार्गों ने बताया कि जगत मिथ्या है। मिथ्या का क्या अर्थ
है --- वह चीज जिसका अस्तित्व दिखाई तो दे पर हो नहीं। थोड़ा चिंतन करने पर यह बात सही भी
लगती है। क्योंकि जगत में कोई भी चीज स्थाई नहीं दिखाई नहीं देती। यहाँ तक कि हमारा अपना
शरीर भी।
जब लोगों को यह बात प्रत्येक आध्यात्मिक शिक्षा में मिली तो उनका जीवन दुःख से भर गया।
यह मानी हुई बात है कि जब हमेशा मौत दिखाई देने लगे तो फिर जीवन जीने का आनंद ही समाप्त हो
जाता है।
अब मनुष्य दुखी तो रह नहीं सकता तो उसने सोचा कि अपने जीवन से इन अध्यात्म की
शिक्षायों को ही बाहर कर दो। मरना तो एक दिन है ही जब मरना है तब मर जायेंगे। लेकिन जब तक
जिन्दा हैं तब तक तो सुख से जियो।
जहाँ तक मेरी जानकारी है श्री अरविन्द वह पहले आध्यात्मिक पुरुष हैं जिन्होंने बताया कि जगत मिथ्या नहीं है।